Delhi: साल 2021 तारीख 30 अगस्त और अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान छोड़ दिया। वैसे 31 अगस्त तक अमेरिका ने अपनी सेना को वापस लाने की डेड लाइन घोषित की थी पर उसने 24 घंटे पहले ही अपना सारा काम करके घर के लिये उड़ान भर ली।
लेकिन पिछले 45 से 30 दिनों में जो हुआ वो अफगानिस्तान के लिये किसी बुरे सपने से कम नहीं है। तालीबान ने एक बार फिर अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया और नये आतंकी युग की शुरुआत कर दी।
काबुल एयरपोर्ट में हुआ
खूनी खेल पूरी दुनिया ने देखा, पहली बार लोगों को हवाई जहाज के पंखों और छतों पर
चढ़कर जाते हुये देखा। आखिर वहां के लोगों में इस तरह के डर की वजह का गुनेहगार
कौन है?
सीधा सा जबाब है इन सब का
गुनेहगार अमेरिका और तालीबान दोनों ही हैं। अमेरिका ने अपनी नौटंकी से तालीबान को
मौका दे दिया और तालीबान ने अपने आतंक से डर की नई परिभाषा लिख दी। काबुल एयरपोर्ट
पर भीड़ का सैलाब संभालना आसान नहीं था, इस भीड़ में वे अफगानी लोग थे जो सरकारी
नौकरी करते थे या किसी भी वजह से अफगान सरकार या अमेरिका के लिये काम करते थे
क्योंकि तालीबान के लड़ाके ऐसे लोगों को खोज-खोजकर गोली मार रहे थे। इसी वजह
से ये लोग देश छोड़कर जाने की कोशिश में
थे। कुछ लोग तो सफल हो गये पर अधिकतर लोग वहीं फंसकर रह गये।
अब आतंकी देश की सत्ता पर
हैं, लोगों की जिन्दगी या देश का विकास सब कुछ भगवान भरोसे है। कुछ देश इस नई
अफागानी सरकार को सपोर्ट भी कर रहे हैं। और जल्द ही इस आतंकी सरकार से कई देश
व्यापारिक संबंध भी बना लेगे।
पर यह भविष्य में पूरी
दुनिया के लिये खतरा भी बन जायेगे। अमेरिका ने अपने फैसले से अपने जवानों की जान
तो बचा ली लेकिन अपने देश को निकट भविष्य में होने वाली भयंकर आतंकी घटनाओं के
भवंर में डाल दिया है।
सच में अमेरिका की नौटंकी
तालीबान के आतंक से कम नहीं।
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