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Declining Credibility of National News Channels | कुछ पढ़े लिखे पत्रकारों की घटिया पत्रकारिता।

 New Delhi: एक प्रेमी युगल किसी मनमुटाव के चलते अलग हो गया। फिर उनमें से एक ने आत्महत्या जैसा कदम उठाकर अपना जीवन समाप्त कर लिया। लोगों को उस लोकप्रिय व्यक्ति के चले जाने का बहुत दुख हुआ। उसके परिवार पर तो दुखों का पहाड़ टूट गया। खैर मामला अब यह मामला किसी दूसरे मोड़ पर चला गया है। लेकिन इस बीच जो कुछ बड़े बड़े समाचार चैनलों ने किया उससे एक जिम्मेदार दर्शक को यह तो पता चल गया कि घटिया पत्रकारिता को देखने से अच्छा है किसी मनोरंजक चैनल को देख लिया जाये। क्योंकि समाचार में सिर्फ एक ही खबर है। हत्या, नैपोटिजम्,  से होते हुये यह मामला अब ड्रग्स पर आ पहुंचा है। इससे पहले एक अमेरिकी पैरानोर्मलिस्ट ने भी इस पर खूब वाहीवाही लूटी। भारत का कोई तान्त्रिक ऐसा दावा करता, तो उसके 206 अस्थी पंजर घट-बढ जाते।


Declining Credibility of National News Channels

समाचार पत्रों की बात हो या चैनलों की सब कोई इस कदर गिर गया है कि होड़ सी लग गई है कौन सबसे ज्यादा नीचे गिरता है। 

एक तो वैसे भी ख़बरी मीडिया जगत में सैलरी का बहुत लोचा है

टीवी चैनलों के पत्रकार ऊपरी दबाब के चलते घटिया पत्रकारिता करने को मजबूर हैं। एक तो वैसे भी ख़बरी मीडिया जगत में सैलरी का बहुत लोचा है। एक महीने की सैलरी तीन महीने के बाद मिलती है और कभी भी अचानक नौकरी भी राम को प्यारी हो जाती है।

मीडिया की ख़बरों को मसालेदार बनाने वाले बड़े-बड़े लोगों को अफनी TRP देखनी होती है, उनके नीचे काम कर रहे लोगों की परेशानी और मजबूरी नहीं। 

यह बात कोई नई नहीं है जब से टीवी चैनल में समाचार का 24x7 प्रसारण हुआ है उसके उसके महीनों के बाद से इसी तरह की घटिया सोच की पत्रकारिता ने जन्म लिया है।

हमारे देश की सेना को इतनी जानकारी अपने बारे में नहीं है जितनी ये समाचार चैनल अपने प्राइम शो में दे डालते हैं। 

हमारे देश के कई नौजवान सराकारी नौकरी के परीक्षा परिणाम के लिये प्रोटेस्ट करते हैं, तो वो खबर इनके लिये आधारहीन हो जाती है। कुछ इक्का दुक्का चैनल इन जरुरी खबरों को प्रसारित करके, इस मरी हुई पत्रकारिता को ऑक्सीजन देने की कोशिश कर रहे हैं।

आप लोगों का आज के समाचार चैनलों के बारे में क्या सोचना है?  


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